The best hindi story Diaries

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विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।

(एक)   "किरन! तुम्हारे कानों में क्या है?" उसके कानों से चंचल लट को हटाकर कहा—"कँगना।" "अरे! कानों में कँगना?" सचमुच दो कंगन कानों को घेरकर बैठे थे। "हाँ, तब कहाँ पहनूँ?

बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश

दो चूहे – Two Mice Hindi A mouse went out for an journey and meets a peculiar mouse or so he termed himself. The mouse then went on to indicate and check out to generate this so named mouse establish him self if He's as mousy as he claimed for being. So on they went, …

The narrative weaves alongside one another the lives of numerous characters, reflecting the exceptional tapestry of Varanasi, through the ghats alongside the Ganges to the slim lanes pulsating with the city’s history. With a combination of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।

कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।

कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।

मोरल – अभ्यास किसी भी get more info कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

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